
लफ्जों से होती नहीं बयां तुम, क्या तुम कोई हया हो ?
कहकशा हो मेरी या मुझ पे चढ़ा कोई नशा हो ?
लिपट गई जो मन से मेरे, तुम वो दबीज़ रिदा हो !
आँखों के सामने हो मेरे, फिर भी क्यों मुझसे जुदा हो ?
छोड़ क्यों नहीं देती मुझे, क्या तुम मेरी छाया हो ?
या कर गई मुझपे जादू , ऐसी कोई माया हो ?
सुबांह में खिलते गुलो की महक या डाली पर नाचती चिडियों की चहक हो ?
तुम्हे देख क्यों हुआ ऐसा हश्र मेरा,
क्या तुम कभी न ख़त्म होने वाली मेरी ग़ज़ल हो ?
तार तार कर गई मुझे, फिर भी तुम मेरे अक्स से जुडी हो !
रोम रोम सितार बजाये, सितारों से ही तुम जड़ी हो !
मेरे नूर में बस चुकी हो तुम, तुम ही मेरे लिए कारून हो !
मेरे प्यार का दायरा कोई ? तुम ही मेरी सायरा हो !
लफ्जों से होती नहीं बयां तुम, क्या तुम कोई हया हो ?
कहकशा हो मेरी या मुझपे चढ़ा कोई नशा हो ?
{this was my first romentic gazal and so close too me, and this is first publish of this gazal, before this day i had never explored it from anyone. this was written to show the way of love for someone's first crush ever..............}
लिपट गई जो मन से मेरे, तुम वो दबीज़ रिदा हो !
आँखों के सामने हो मेरे, फिर भी क्यों मुझसे जुदा हो ?
छोड़ क्यों नहीं देती मुझे, क्या तुम मेरी छाया हो ?
या कर गई मुझपे जादू , ऐसी कोई माया हो ?
सुबांह में खिलते गुलो की महक या डाली पर नाचती चिडियों की चहक हो ?
तुम्हे देख क्यों हुआ ऐसा हश्र मेरा,
क्या तुम कभी न ख़त्म होने वाली मेरी ग़ज़ल हो ?
तार तार कर गई मुझे, फिर भी तुम मेरे अक्स से जुडी हो !
रोम रोम सितार बजाये, सितारों से ही तुम जड़ी हो !
मेरे नूर में बस चुकी हो तुम, तुम ही मेरे लिए कारून हो !
मेरे प्यार का दायरा कोई ? तुम ही मेरी सायरा हो !
लफ्जों से होती नहीं बयां तुम, क्या तुम कोई हया हो ?
कहकशा हो मेरी या मुझपे चढ़ा कोई नशा हो ?
{this was my first romentic gazal and so close too me, and this is first publish of this gazal, before this day i had never explored it from anyone. this was written to show the way of love for someone's first crush ever..............}